वंदना टेटे (लेखक प्रोफ़ाइल)
वंदना टेटे झारखंड की एक प्रमुख आदिवासी लेखिका हैं, जो मुख्यतः हिंदी और खड़िया भाषाओं में लेखन करती हैं।
उनका जन्म सिमडेगा ज़िले में हुआ था (जो पहले बिहार का हिस्सा था और अब झारखंड में है)। वे प्रसिद्ध आदिवासी लेखक और कार्यकर्ता प्यारा केरकेट्टा की पोती हैं, और रोज केरकेट्टा की बेटी हैं, जो स्वयं भी एक प्रतिष्ठित लेखिका थीं। (दुख की बात है कि हाल ही में रोज केरकेट्टा का निधन हो गया; उनका शोक-संदेश यहाँ पढ़ा जा सकता है।)
वंदना टेटे ने झारखंड की पहली बहुभाषी पत्रिका ‘झारखंडी भाषा, साहित्य, संस्कृति: अखड़ा’ का संपादन किया है (सन् 2004 से)। वे खड़िया पत्रिका 'सोरिनानिंग' (2005 से) और नागपुरी पत्रिका 'जोहार सहिया' से भी जुड़ी रही हैं।
उन्होंने महिलाओं के मुद्दों, सामाजिक, शैक्षिक और स्वास्थ्य संबंधी विषयों पर नुक्कड़ नाटक में अभिनय किया है, और नाट्य कार्यशालाएँ संचालित की हैं। वर्तमान में वे प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन, राँची के साथ कार्यरत हैं, जहाँ वे झारखंड की आदिवासी और देशज भाषाओं, साहित्य और संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन और विकास के लिए काम कर रही हैं।
उनकी कुछ प्रमुख पुस्तकें इस प्रकार हैं:
कवि मन जनी मन
पुर्खा लड़ेके
किसका राज है
झारखंड: एक अनंत समरगाथा
पुर्खा झारखंडी साहित्यकार और नए साक्षात्कार
असुर सिरिंग
आदिवासी साहित्य: परंपरा और प्रयोजन
आदिम राग
कोंजोगा
एलिस एक्का की कहानियाँ (एलिस एक्का की कहानियों का संकलन)
आदिवासी दर्शन और साहित्य
अधिक जानकारी के लिए:
Outlook India में वंदना टेटे का लेख: “आदिवासी साहित्य को लोक साहित्य और ‘नोबेल’ साहित्य में बाँटना संभव नहीं”
वंदना टेटे का एक साक्षात्कार – जिसमें उन्होंने अपने पारिवारिक पृष्ठभूमि और राजस्थान में शिक्षा अनुभव का विवरण दिया है। साथ ही उन्होंने अपने आदिवासी होने के कारण भेदभाव के अनुभव साझा किए हैं। इसमें आदिवासियत पर भी एक सार्थक चर्चा मौजूद है।